वर्ल्ड विमेन बॉक्सिंग चैंपियन के 48 किलोग्राम वर्ग में भारत की नीतू घनघस ने गोल्ड मेडल जीत लिया है लेकिन ये सफर काफी चुनौतियों भरा रहा. नीतू से ही सुनिए उनके बॉक्सर बनने की कहानी..

123
सोर्स बीबीसी

खेल खबर – वर्ल्ड विमेन बॉक्सिंग चैंपियन के 48 किलोग्राम वर्ग में भारत की नीतू घनघस ने गोल्ड मेडल जीत लिया है लेकिन ये सफर काफी चुनौतियों भरा रहा.
आइए जानते है  नीतू से ही  उनके बॉक्सर बनने की पूरी कहानी.

सोर्स बीबीसी

 

 

नीतू घनघस 2012 में बॉक्सिंग स्टार्ट की थी। धनाना गांव की रहने वाली है। इनके पिताजी हरियाणा विधानसभा में नौकरी करते है।पापा चंडीगढ़ में रहते थे।पापा चाहते थे। लड़कियां बाहर जाए और बाहर के बारे में जाने। इन्हें बाहरी दुनिया के बारे में भी पता चलना चाहिए मैं स्पोर्ट्स में काफी तेज थी जब भी स्कूल में स्पोर्ट्स में हिस्सा लेती थी।तो हमेशा फर्स्ट आया करती थी तो पापा ने कहा कि तुम्हें गेम में हिस्सा लेना चाहिए। उस समय विजेंदर सिंह 2008 में ओलंपिक में गोल्ड मेडल लिया था उस वजह से बॉक्सिंग गेम बहुत जाना जाने लगा। मैं अपनी आइडल मेरी कॉम को मानती हूं। मैं उनको ही फॉलो करती हूं, मैं दीवानी में रहती थी कभी-कभी वापस आना पड़ता था बस नहीं आती लोग कहते हैं इवनिंग में लड़की जाती है क्या करती होगी लोगों की सुनना पड़ता था जब मैंने बॉक्सिंग स्टार्ट की थी।

 

 एक दो साल मेरी परफॉर्मेंस अच्छी नहीं रही लोग बोलते थे कि लड़की ऐसे ही समय पास कर रही है यह सब सुनकर दुख होता था जब फैमिली वाले और पड़ोस वाले भी ऐसा बोलने लगे लड़की घूम रही है और घर वाले को इसकी कोई फिक्र ही नहीं है, लड़की है कल को शादी करके जाएगी तो घर का काम करेगी इससे अच्छा लड़के को यह सब करवाओ सही रहेगा उस टाइम पर पापा ने मुझे बहुत सपोर्ट किया।

2016 में मुझे इंजरी हुई थी उस समय कोई मेरी नहीं सुनता था क्योंकि मेरी परफॉर्मेंस अच्छी नहीं रहती थी कोच भी नहीं सुनते थे। जो अच्छा मेडल लाता था उसी की सुनी जाती थी मैं पेन किलर की दवाई ले कर सुबह ट्रेनिंग करती थी बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता था दर्द था दर्द के लिए दवा और लोगों की बातें इन सब बातो को सुनते हुए मैं ट्रेनिंग कर रही थी

इसके बाद मैं घर चली आई जहां पापा ने मुझे ट्रेनिंग कराई और पूरा सपोर्ट किया मैं कहना चाहूंगी 1 प्लेयर को बनाने में उसके फैमिली का पूरा मेहनत लगता है।

कॉमनवेल्थ गेम खेलना मेरा सपना है और मैं कॉमनवेल्थ गेम पहली बार खेलने जा रही हूं मैंने मेहनत करी है पिछले कुछ सालों से उसका रंग देखने को मिलेगा।